story for kids in hindi | stories in hindi | story in hindi | hindi short story | राक्षस और ब्यूटी की कहानी
राक्षस और ब्यूटी की कहानी
उसने अपनी तीनों बेटियों से पूछा कि वह लौटते समय क्या ले आए उनके लिए कोमल और रोमा ने अपने लिए महंगे महंगे कपड़े और गहने मांगे लेकिन ब्यूटी ने उनसे एक गुलाब का फूल मांगा व्यापारी शहर के लिए निकल पड़ा रास्ते में उसे कुछ डाकुओं ने घेर लिया और सारा सामान छीन लिया व्यापारी बहुत उदास हो गया और सोचने लगा अब मेरी बेटियों का क्या होगा और वह अपने घर की तरफ लौटने लगा |
लौटते समय रास्ते में तेज आंधी तूफान आ गया तूफान के कारण वह गाड़ी नहीं चला पा रहा था और वह भटक गया वह एक महल के पास पहुंचा जो कि एकदम विरान जगह पर था लेकिन अंधी-तूफान से बचने के लिए वह महल के अंदर चला गया|
उसमें एक गुलाब तोड़ना चाहा तभी उस जगह एक राक्षस आया और उसने उस व्यापारी को पकड़ लिया और बंदी बनाते हुए बोला मैंने तुम्हें कल खाना दिया सोने के लिए जगह दिया और तुम मेरे फूल तोड़ रहे हो मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा व्यापारी उस राक्षस से बहुत विनती करने लगा और उसने सब बातें बताई उसकी बेटी ब्यूटी ने गुलाब का फूल मांगा है|
राक्षस ने बोला तुम अपनी बेटी को यहां भेजने का वादा करो तभी मैं तुम्हें यहां से जाने दूंगा व्यापारी दुखी मन से उसकी बात मान ली| तब राक्षस ने व्यापारी को बहुत सारे सोने के सिक्के दिया व्यपारी अपने घर की ओर चल दिया व्यापारी ने घर पहुंचकर अपनी बेटियों को सारी बातें बताई यह सुन कर ब्यूटी रोने लगी लेकिन बाद में राक्षस के पास जाने को तैयार हो गई|
अगले दिन वह राक्षस के पास जाने के लिए घर से निकल गई महल के पास पहुंच कर उसने आवाज लगाई (कोई है ) लेकिन कोई नहीं आया वह भी उसी तरह महल में अंदर गई और उनसे भी मेज़ पर रखे तरह-तरह के पकवान देखे उसे बहुत भूख लग रही थी उसने जैसे ही खाना शुरू किया तभी राक्षस वहां आ गया |
राक्षस ने ब्यूटी से कहा तुम यही रहोगी यहां से भागने की कोशिश मत करना तुम्हारा कमरा ऊपर की तरफ दाए ओर है अपने कमरे की ओर जाने लगे उसने अपने कमरे के बाहर गुलाबों से सजे हुए दरवाजे देखें और अपने कमरे के अंदर वह सभी चीजें देखी जो उसे बहुत पसंद थी जैसे कि संगीत, किताबें बहुत सारी चीजें और वहां एक दर्पण भी था वह एक जादुई दर्पण था उसने मन ही मन सोचा राक्षस इतना बुरा भी नहीं है जितना वह सोच रही थी |
उसे अपने पिता की याद आ रही थी उसने अपने हाथों में दर्पण उठाया और बोला दर्पण दर्पण मुझे ऐसी चीज दिखाओ जिसे मैं देखना चाहती हूं उसने देखा की उसके पिता रो रहे है यह देख ब्यूटी को भी रोना आ गया|
अब वह प्रतिदिन राक्षस से मिलती है उसके साथ खाना भी खाती, घूमती राक्षस भी उसकी हर पसंद का ख्याल रखता था उसके लिए तरह तरह के पकवान बनता | अब ब्यूटी को उस राक्षस से बिलकुल भी डर नहीं लगता था|
एक दिन ब्यूटी को अपने पिता की बहुत याद आ रही थी उसने दर्पण को अपने हाथ में लेकर कहा दर्पण -दर्पण मुझे ऐसी चीज दिखाओ जो मैं देखना चाहती हु उसने देखा की उसके पिता बहुत बीमार है|
ब्यूटी ने राक्षस से कहा मेरे पिता बहुत बीमार है मैं उनके पास जाना चाहती हु राक्षस ने उसे अपने पिता से मिलने की इजाजद दे दी और एक अंगूठी देते हुए कहा तुम इसे पहन कर सो जाओ तुम अपने पिता के घर पहुंच जाओगी और जब आना होगा तो तुम फिर से इसे पहन कर सो जाना यहाँ पहुंच जाओगी |
लेकिन तुम इस बात का धयान रखना की तुम सातवे दिन यहाँ आ जाओ अगर तुम यहाँ नहीं आई तो मैं मर जाऊंगा ब्यूटी ने कहा मैं जरूर आ जाउंगी ऐसा बोलकर अंगूठी लेकर वह अपने कमरे में जाकर सो गई और जब वह उठी तो वह अपने पिता के पास थी |
वह जल्दी से अपने कमरे में गई और उस अंगूठी को पहन कर सो गई हुए और वह सीधे राक्षस के महल में पहुंच गई महल में पहुंच कर वह राक्षस को ढूढ़ने लगी लेकिन राक्षस उसे कही नहीं मिला वह बहुत डर गई की राक्षस को कही कुछ हो न जाये यह सोचते हुए वह बगीचे में पहुंची जहां राक्षस जमीन पर गिरा हुआ था|
यह देख कर ब्यूटी जोर-जोर से रोने लगी बोली मैं तुमसे बहुत प्यार करती हु तुम मुझे छोड़ कर नहीं जा सकते ब्यूटी के आशु जब राक्षस के चेहरे पर पड़े तो वह एक सूंदर राजकुमार में बदल गया |
उस राजकुमार ने ब्यूटी को गले से लगाते हुए कहा की आज मैं तुम्हारी प्यार की वजह से अपनी असली रूप में आया हु एक चुड़ैल ने मुझे श्राप दिया था जिस कारन से मैं राक्षस बन गया आज वह श्राप ख़त्म हो गया |
ब्यूटी और राजकुमार घर आ जाते है ब्यूटी के पिता उन दोनों की शादी कर देते है और वह दोनों ख़ुशी -ख़ुशी बड़े प्यार से रहने लगते है |
Comments
Post a Comment